Friday, April 25, 2008

जब वक्त साथ नही देता,
तो अपने तो हैं |
जो वक्त वे वक्त
हमारे साथ है|
एक ताक़त की तरह ||
हमे हौसला देते है
चट्टानों से टकराने की ,
मंजिलो को पाने की|

मैं?
मैं क्या हूँ
कौन हूँ
अपनों के बगैर|

सच ही तो है
अकेला चना भंड नही फोड़ता||

2 comments:

aditi said...

Arre wah!sab kuch na kuch likhte rho!

Tapasya said...

Write more...